उम्मीद
गिर रहे हो तो संभल के क़दम
उठाकर देखो,
दर्द है तो किसी हमदर्द को
सुना कर देखो I
अब लोगों ने नाम मेरा रख
दिया है ‘उम्मीद’,
इक दफ़ा मुझे भी सीने से लगा
कर देखो I
हक़ीक़त राय शर्मा
हक़ीक़त राय शर्मा
गाज़ियाबाद
और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)
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