Thursday, 14 April 2016

शायरी - ‘उम्मीद’



उम्मीद

गिर रहे हो तो संभल के क़दम उठाकर देखो,

दर्द है तो किसी हमदर्द को सुना कर देखो I

अब लोगों ने नाम मेरा रख दिया है ‘उम्मीद’,

इक दफ़ा मुझे भी सीने से लगा कर देखो I


                 हक़ीक़त राय शर्मा 
         गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)

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