Tuesday, 17 May 2016

शायरी - मेरा हक़ दीजिए मुझको


मेरा हक़ दीजिए मुझको
      (औरत की आवाज़)

 तकाज़ा वक़्त का है अब हिफाज़त दीजिए मुझको
उठा कर सर ज़माने में जीने दीजिए मुझको I 
  
 बरख़ुरदार से कम क़ाबिल हरगिज़ नहीं हूँ मै
हुनर अपना दिखाने का मौक़ा दीजिए मुझको I 

सजा़ देते नहीं हो क्यों गुनह्गारों को जल्दी से 
मै माँ भी हूँ और दुख्तर भी इज्ज़त दीजिए मुझको I
  
मैंने मेहनत बहुत की है कई कुर्बानियाँ दी हैं,
जगह अपने बराबर में जल्द से दीजिए मुझको I
  
मुझे सियासत ने बख़्शी है झूठे वादों की जागीरें ,
हक़ीक़त में शराफत से मेरा हक़ दीजिए मुझको I



दुख्तर-बेटी      
            
          हक़ीक़त राय शर्मा
                गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)



Appreciated by


Anshikha ,Vidushi ,Mamta and Isha


Jyoti, Aakansha, Anshu, Ujma and Kavita
(on Teacher's Day, 2016)

2 comments:

  1. Very nice and inspiration
    heart touching......

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  2. Very nice and inspiration
    heart touching......

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