Monday, 18 July 2016

शायरी – याद


मेरे मरहूम भाई के लिए


तुम्हारी मौत के बाद मैंने तुम्हारा नाम पाया,
माता-पिता को तुम्हें याद करते सुह-शाम पाया I


मुह फेर लिए कई दोस्तों ने वक्त ए ज़रूरत में,
हुनर शायरी का तुम्हारी यादों में मेरे काम आया I


ख़ास : मेरे बड़े भाई का नाम भी हक़ीक़त राय शर्मा था जिनका स्वर्गवास लगभग एक साल की उम्र में हो गया था I उनके इंतकाल के बाद मेरा जन्म हुआ I मेरे माता पिता की हिम्मत को सलाम कि उन्होंने मेरा नाम भी वही रख दिया I



दर्द अपने की ही नहीं गैरों की भी दवा कीजेगा,
कम से कम आज मेरी उम्रदराज़ी की दुआ कीजेगा I



हक़ीक़त राय शर्मा
गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)

Shayari by
Hakikat Rai Sharma, Ghaziabad & Nabinagar, Bulandshahr (UP)


Appreciated by:

Naren and Garima



No comments:

Post a Comment