मेरे मरहूम भाई के लिए
तुम्हारी मौत के बाद मैंने
तुम्हारा नाम पाया,
माता-पिता को तुम्हें याद करते
सुबह-शाम पाया I
मुह फेर लिए कई दोस्तों ने वक्त ए
ज़रूरत में,
हुनर शायरी का तुम्हारी यादों में
मेरे काम आया I
ख़ास : मेरे बड़े भाई का नाम भी
हक़ीक़त राय शर्मा था जिनका स्वर्गवास लगभग एक साल की उम्र में हो गया था I उनके
इंतकाल के बाद मेरा जन्म हुआ I मेरे माता पिता की हिम्मत को सलाम कि उन्होंने मेरा
नाम भी वही रख दिया I
दर्द अपने की ही नहीं गैरों की भी
दवा कीजेगा,
कम से कम आज मेरी उम्रदराज़ी की दुआ
कीजेगा I
हक़ीक़त राय शर्मा
गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)
Shayari
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