Thursday, 4 August 2016

शायरी – शुक्रिया (For all students on my return to Ghaziabad)



शायरी शुक्रिया (For all students)
Composed on 04.08.2016 



 
१.  वो कोई और होगा जिसको भुला दिया तुमने,
देखो दुआओं के दम पर मुझको बुला लिया तुमने |

२.  ये ख़बर सुनकर सिर्फ पानी ही मैंने पिया था,
मगर लगा ऐसा जैसे अमरत पिला दिया तुमने |

३.  मैं कितना ख़ुशनसीब हूँ अब मालूम हुआ मुझको,
मेरी तमाम बेचैनियों को देखो सुला दिया तुमने |

४.  समझ आता नहीं मैं क्या लिखूँ तुम्हारी शान में,
शुक्रिया बेहद ख़ुदा अपनों से मिला दिया तुमने |

५.  अब हक़ीक़त हर तरह से ये साबित हो गया,
ज़माना देख ले फिर से अपना बना लिया तुमने |




हक़ीक़त राय शर्मा
गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)
Shayari by
Hakikat Rai Sharma, Ghaziabad & Nabinagar, Bulandshahr (UP)


Appreciated by 
Mahendr Singh

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