Sunday, 19 June 2016

शायरी – सबक़

मेरे दादा मरहूम श्री भीम सैन शर्मा के लिए




सबक़ मुझे मक्तब से पहले सिखाया तुमने,

चारपाई पर बैठ पकड़ चलना सिखाया तुमने I


खुद की आँखों में रौशनी थी ज़रा भी नहीं,

बावज़ूद इसके मुझे दुनिया को दिखाया तुमने I


हक़ीक़त उनके लिए तुम और क्या कर सकते हो,

अच्छा किया याद में जो कलम चलाया तुमने I




हक़ीक़त राय शर्मा 
गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)

Shayari by
Hakikat Rai Sharma, Ghaziabad & Nabinagar, Bulandshahr (UP)

Appreciated by Mohd Akhlas



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