मेरे पिता मरहूम श्री लोक पाल शर्मा के
लिए
यक़ीन
होता नहीं अब नहीं हो तुम,
जहाँ
जाता हूँ मौजूद वहीं
हो तुम /
मुझे
हिम्मत तुम्हीं से
मिलती है,
हक़ीक़त है मेरे आसमां ज़मी हो तुम //
हक़ीक़त राय शर्मा
गाज़ियाबाद
और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)
Appreciated by:
Sudha Rani Sharma & Dron Bharadwaj
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