मेरी मरहूमा माताजी श्रीमती गेंदा
शर्मा के लिए
माँ की जगह ले सके, बना ऐसा कोई ताज नहीं I
याद तुम्हारी न दिलाये, ऐसा दिन नहीं रात नहीं II
तस्वीर
मेरे पास है तुम्हारी, मगर आवाज़ नहीं I
हक़ीक़त
बयां करूँ कैसे, पास मेरे अल्फाज़ नहीं II
हक़ीक़त राय शर्मा
गाज़ियाबाद और नबीनगर, ज़िला बुलंदशहर (उ०प्र०)
Shayari
by
Hakikat
Rai Sharma, Ghaziabad & Nabinagar, Bulandshahr (UP)
mother is most valueable then everything..... for everyone ....
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